Original

कल्याणगोचरं कृत्वा मनस्तृष्णां निगृह्य च ।कर्मसंततिमुत्सृज्य स्यान्निरालम्बनः सुखी ॥ २० ॥

Segmented

कल्याण-गोचरम् कृत्वा मनः-तृष्णाम् निगृह्य च कर्म-संततिम् उत्सृज्य स्यात् निरालम्बनः सुखी

Analysis

Word Lemma Parse
कल्याण कल्याण pos=a,comp=y
गोचरम् गोचर pos=a,g=m,c=2,n=s
कृत्वा कृ pos=vi
मनः मनस् pos=n,comp=y
तृष्णाम् तृष्णा pos=n,g=f,c=2,n=s
निगृह्य निग्रह् pos=vi
pos=i
कर्म कर्मन् pos=n,comp=y
संततिम् संतति pos=n,g=f,c=2,n=s
उत्सृज्य उत्सृज् pos=vi
स्यात् अस् pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin
निरालम्बनः निरालम्बन pos=a,g=m,c=1,n=s
सुखी सुखिन् pos=a,g=m,c=1,n=s