महाभारतम् — 12.184.2
Original
Segmented
भृगुः उवाच हुतेन शाम्यते पापम् स्वाध्याये शान्तिः उत्तमा दानेन भोग इति आहुः तपसा सर्वम् आप्नुयात्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भृगुः | भृगु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
हुतेन | हुत | pos=n,g=n,c=3,n=s |
शाम्यते | शामय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
पापम् | पाप | pos=n,g=n,c=1,n=s |
स्वाध्याये | स्वाध्याय | pos=n,g=m,c=7,n=s |
शान्तिः | शान्ति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
उत्तमा | उत्तम | pos=a,g=f,c=1,n=s |
दानेन | दान | pos=n,g=n,c=3,n=s |
भोग | भोग | pos=n,g=m,c=1,n=s |
इति | इति | pos=i |
आहुः | अह् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
तपसा | तपस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
सर्वम् | सर्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आप्नुयात् | आप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |