महाभारतम् — 12.184.1
Original
Segmented
भरद्वाज उवाच दानस्य किम् फलम् प्राहुः धर्मस्य चरितस्य च तपसः च सु तप्तस्य स्वाध्यायस्य हुतस्य च
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भरद्वाज | भरद्वाज | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
दानस्य | दान | pos=n,g=n,c=6,n=s |
किम् | क | pos=n,g=n,c=2,n=s |
फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
प्राहुः | प्राह् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
धर्मस्य | धर्म | pos=n,g=m,c=6,n=s |
चरितस्य | चरित | pos=n,g=n,c=6,n=s |
च | च | pos=i |
तपसः | तपस् | pos=n,g=n,c=6,n=s |
च | च | pos=i |
सु | सु | pos=i |
तप्तस्य | तप् | pos=va,g=n,c=6,n=s,f=part |
स्वाध्यायस्य | स्वाध्याय | pos=n,g=m,c=6,n=s |
हुतस्य | हुत | pos=n,g=n,c=6,n=s |
च | च | pos=i |