महाभारतम् — 12.171.32
Original
Segmented
विहरिष्यामि अनासक्तः सुखी लोकान् निरामयः यथा मा त्वम् पुनः न एवम् दुःखेषु प्रणिधास्यसि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
विहरिष्यामि | विहृ | pos=v,p=1,n=s,l=lrt |
अनासक्तः | अनासक्त | pos=a,g=m,c=1,n=s |
सुखी | सुखिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
लोकान् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
निरामयः | निरामय | pos=a,g=m,c=1,n=s |
यथा | यथा | pos=i |
मा | मद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
पुनः | पुनर् | pos=i |
न | न | pos=i |
एवम् | एवम् | pos=i |
दुःखेषु | दुःख | pos=n,g=n,c=7,n=p |
प्रणिधास्यसि | प्रणिधा | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |