महाभारतम् — 12.154.5
Original
Segmented
भीष्म उवाच हन्त ते कथयिष्यामि येन श्रेयः प्रपत्स्यसे पीत्वा अमृतम् इव प्राज्ञो ज्ञान-तृप्तः भविष्यसि
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| भीष्म | भीष्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| हन्त | हन्त | pos=i |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
| कथयिष्यामि | कथय् | pos=v,p=1,n=s,l=lrt |
| येन | येन | pos=i |
| श्रेयः | श्रेयस् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| प्रपत्स्यसे | प्रपद् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
| पीत्वा | पा | pos=vi |
| अमृतम् | अमृत | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| इव | इव | pos=i |
| प्राज्ञो | प्राज्ञ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| ज्ञान | ज्ञान | pos=n,comp=y |
| तृप्तः | तृप् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| भविष्यसि | भू | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |