महाभारतम् — 12.132.14
Original
Segmented
ब्रह्म-क्षत्रम् सम्प्रविशेद् बहु कृत्वा सु दुष्करम् उच्यमानो ऽपि लोकेन बहु तत् तद् अचिन्तयन्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,comp=y |
| क्षत्रम् | क्षत्र | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| सम्प्रविशेद् | सम्प्रविश् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| बहु | बहु | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| कृत्वा | कृ | pos=vi |
| सु | सु | pos=i |
| दुष्करम् | दुष्कर | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| उच्यमानो | वच् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| ऽपि | अपि | pos=i |
| लोकेन | लोक | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| बहु | बहु | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अचिन्तयन् | अचिन्तयत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |