Original

दृष्ट्वोपविष्टां राजर्षिः पाण्डवो महिषीं प्रियाम् ।प्रत्युवाच स धर्मात्मा द्रौपदीं चारुदर्शनाम् ॥ १७ ॥

Segmented

दृष्ट्वा उपविष्टाम् राजर्षिः पाण्डवो महिषीम् प्रियाम् प्रत्युवाच स धर्म-आत्मा द्रौपदीम् चारु-दर्शनाम्

Analysis

Word Lemma Parse
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
उपविष्टाम् उपविश् pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
राजर्षिः राजर्षि pos=n,g=m,c=1,n=s
पाण्डवो पाण्डव pos=n,g=m,c=1,n=s
महिषीम् महिषी pos=n,g=f,c=2,n=s
प्रियाम् प्रिय pos=a,g=f,c=2,n=s
प्रत्युवाच प्रतिवच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
धर्म धर्म pos=n,comp=y
आत्मा आत्मन् pos=n,g=m,c=1,n=s
द्रौपदीम् द्रौपदी pos=n,g=f,c=2,n=s
चारु चारु pos=a,comp=y
दर्शनाम् दर्शन pos=n,g=f,c=2,n=s