Original

यदाश्रौषं निहतं मद्रराजं रणे शूरं धर्मराजेन सूत ।सदा संग्रामे स्पर्धते यः स कृष्णं तदा नाशंसे विजयाय संजय ॥ १४८ ॥

Segmented

यदा अश्रौषम् निहतम् मद्र-राजम् रणे शूरम् धर्मराजेन सूत सदा संग्रामे स्पर्धते यः स कृष्णम् तदा न आशंसे विजयाय संजय

Analysis

Word Lemma Parse
यदा यदा pos=i
अश्रौषम् श्रु pos=v,p=1,n=s,l=lun
निहतम् निहन् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
मद्र मद्र pos=n,comp=y
राजम् राज pos=n,g=m,c=2,n=s
रणे रण pos=n,g=m,c=7,n=s
शूरम् शूर pos=n,g=m,c=2,n=s
धर्मराजेन धर्मराज pos=n,g=m,c=3,n=s
सूत सूत pos=n,g=m,c=8,n=s
सदा सदा pos=i
संग्रामे संग्राम pos=n,g=m,c=7,n=s
स्पर्धते स्पृध् pos=v,p=3,n=s,l=lat
यः यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
कृष्णम् कृष्ण pos=n,g=m,c=2,n=s
तदा तदा pos=i
pos=i
आशंसे आशंस् pos=v,p=1,n=s,l=lat
विजयाय विजय pos=n,g=m,c=4,n=s
संजय संजय pos=n,g=m,c=8,n=s