महाभारतम् — 1.1.143
Original
Segmented
यदा अश्रौषम् द्रोणम् आचार्यम् एकम् धृष्टद्युम्नेन अभ्यतिक्रम्य धर्मम् रथोपस्थे प्राय-गतम् विशस्तम् तदा न आशंसे विजयाय संजय
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
अश्रौषम् | श्रु | pos=v,p=1,n=s,l=lun |
द्रोणम् | द्रोण | pos=n,g=m,c=2,n=s |
आचार्यम् | आचार्य | pos=n,g=m,c=2,n=s |
एकम् | एक | pos=n,g=m,c=2,n=s |
धृष्टद्युम्नेन | धृष्टद्युम्न | pos=n,g=m,c=3,n=s |
अभ्यतिक्रम्य | अभ्यतिक्रम् | pos=vi |
धर्मम् | धर्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
रथोपस्थे | रथोपस्थ | pos=n,g=m,c=7,n=s |
प्राय | प्राय | pos=n,comp=y |
गतम् | गम् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
विशस्तम् | विशंस् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
तदा | तदा | pos=i |
न | न | pos=i |
आशंसे | आशंस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
विजयाय | विजय | pos=n,g=m,c=4,n=s |
संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |