महाभारतम् — 1.1.126
Original
Segmented
यदा अश्रौषम् भीष्मम् अत्यन्त-शूरम् हतम् पार्थेन आहवेषु अप्रधृष्यम् शिखण्डिनम् पुरतः स्थापयित्वा तदा न आशंसे विजयाय संजय
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
अश्रौषम् | श्रु | pos=v,p=1,n=s,l=lun |
भीष्मम् | भीष्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अत्यन्त | अत्यन्त | pos=a,comp=y |
शूरम् | शूर | pos=n,g=m,c=2,n=s |
हतम् | हन् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
पार्थेन | पार्थ | pos=n,g=m,c=3,n=s |
आहवेषु | आहव | pos=n,g=m,c=7,n=p |
अप्रधृष्यम् | अप्रधृष्य | pos=a,g=m,c=2,n=s |
शिखण्डिनम् | शिखण्डिन् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
पुरतः | पुरतस् | pos=i |
स्थापयित्वा | स्थापय् | pos=vi |
तदा | तदा | pos=i |
न | न | pos=i |
आशंसे | आशंस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
विजयाय | विजय | pos=n,g=m,c=4,n=s |
संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |