महाभारतम् — 1.1.108
Original
Segmented
यदा अश्रौषम् स्नातकानाम् सहस्रैः अन्वागतम् धर्मराजम् वनस्थम् भिक्षा-भुज् ब्राह्मणानाम् महात्मनाम् तदा न आशंसे विजयाय संजय
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
अश्रौषम् | श्रु | pos=v,p=1,n=s,l=lun |
स्नातकानाम् | स्नातक | pos=n,g=m,c=6,n=p |
सहस्रैः | सहस्र | pos=n,g=n,c=3,n=p |
अन्वागतम् | अन्वागम् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
धर्मराजम् | धर्मराज | pos=n,g=m,c=2,n=s |
वनस्थम् | वनस्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
भिक्षा | भिक्षा | pos=n,comp=y |
भुज् | भुज् | pos=a,g=m,c=6,n=p |
ब्राह्मणानाम् | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=6,n=p |
महात्मनाम् | महात्मन् | pos=a,g=m,c=6,n=p |
तदा | तदा | pos=i |
न | न | pos=i |
आशंसे | आशंस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
विजयाय | विजय | pos=n,g=m,c=4,n=s |
संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |