महाभारतम् — 1.1.107
Original
Segmented
यदा अश्रौषम् विविधास् तात चेष्टा धर्म-आत्मनाम् प्रस्थितानाम् वनाय ज्येष्ठ-प्रीत्या क्लिश्यताम् पाण्डवानाम् तदा न आशंसे विजयाय संजय
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
अश्रौषम् | श्रु | pos=v,p=1,n=s,l=lun |
विविधास् | विविध | pos=a,g=f,c=2,n=p |
तात | तात | pos=n,g=m,c=8,n=s |
चेष्टा | चेष्टा | pos=n,g=f,c=2,n=p |
धर्म | धर्म | pos=n,comp=y |
आत्मनाम् | आत्मन् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
प्रस्थितानाम् | प्रस्था | pos=va,g=m,c=6,n=p,f=part |
वनाय | वन | pos=n,g=n,c=4,n=s |
ज्येष्ठ | ज्येष्ठ | pos=a,comp=y |
प्रीत्या | प्रीति | pos=n,g=f,c=3,n=s |
क्लिश्यताम् | क्लिश् | pos=va,g=m,c=6,n=p,f=part |
पाण्डवानाम् | पाण्डव | pos=n,g=m,c=6,n=p |
तदा | तदा | pos=i |
न | न | pos=i |
आशंसे | आशंस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
विजयाय | विजय | pos=n,g=m,c=4,n=s |
संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |