महाभारतम् — 1.1.104
Original
Segmented
यदा अश्रौषम् देवराजम् प्रवृष्टम् शरैः दिव्यैः वारितम् च अर्जुनेन अग्निम् तथा तर्पितम् खाण्डवे च तदा न आशंसे विजयाय संजय
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
अश्रौषम् | श्रु | pos=v,p=1,n=s,l=lun |
देवराजम् | देवराज | pos=n,g=m,c=2,n=s |
प्रवृष्टम् | प्रवृष् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
शरैः | शर | pos=n,g=m,c=3,n=p |
दिव्यैः | दिव्य | pos=a,g=m,c=3,n=p |
वारितम् | वारय् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
च | च | pos=i |
अर्जुनेन | अर्जुन | pos=n,g=m,c=3,n=s |
अग्निम् | अग्नि | pos=n,g=m,c=2,n=s |
तथा | तथा | pos=i |
तर्पितम् | तर्पय् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
खाण्डवे | खाण्डव | pos=n,g=m,c=7,n=s |
च | च | pos=i |
तदा | तदा | pos=i |
न | न | pos=i |
आशंसे | आशंस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
विजयाय | विजय | pos=n,g=m,c=4,n=s |
संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |