किरातार्जुनीयम् — 5.16
Original
Segmented
अनुचरेण धनाधिपतेः अथो नग-विलोकन-विस्मित-मानसः स जगदे वचनम् प्रियम् आदरान् मुखर-ता-अवसरे हि विराजते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अनुचरेण | अनुचर | pos=n,g=m,c=3,n=s |
धनाधिपतेः | धनाधिपति | pos=n,g=m,c=6,n=s |
अथो | अथो | pos=i |
नग | नग | pos=n,comp=y |
विलोकन | विलोकन | pos=n,comp=y |
विस्मित | विस्मि | pos=va,comp=y,f=part |
मानसः | मानस | pos=n,g=m,c=1,n=s |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
जगदे | गद् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
वचनम् | वचन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
प्रियम् | प्रिय | pos=a,g=n,c=2,n=s |
आदरान् | आदर | pos=n,g=m,c=5,n=s |
मुखर | मुखर | pos=a,comp=y |
ता | ता | pos=n,comp=y |
अवसरे | अवसर | pos=n,g=m,c=7,n=s |
हि | हि | pos=i |
विराजते | विराज् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |