2025-12-13 16:51:02 by akprasad
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<p text="B" n="dhyanam">जो धनुष-बाण धारण किये हुए हैं, बद्ध पद्मासनसे
विराजमान हैं, पीताम्बर पहने हुए हैं, जिनके प्रसन्न
नयन नूतन कमलदलसे स्पर्धा करते तथा वामभागमें
विराजमान श्रीसीताजी के मुखकमलसे मिले हुए हैं, उन
आजानुबाहु, मेघश्याम, नाना प्रकार के अलंकारोंसे विभूषित
तथा विशाल जटाजूटधारी श्रीरामचन्द्रजीका ध्यान करे।
</p>
<heading text="A">स्तोत्रम्
</heading>
<verse text="A" n="1">चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ १॥
</verse>
<p text="B" n="1">श्रीरघुनाथजीका चरित्र सौ करोड़ विस्तारवाला है
और उसका एक-एक अक्षर भी मनुष्योंके महान् पापोंको
नष्ट करनेवाला है ॥ १ ॥
</p>
<verse text="A" n="2">ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥ २ ॥ ॥
</verse>
<verse text="A" n="3">सासितूणधनुर्वाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥ ३ ॥</verse>
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<p text="B" n="dhyanam">जो धनुष-बाण धारण किये हुए हैं, बद्ध पद्मासनसे
विराजमान हैं, पीताम्बर पहने हुए हैं, जिनके प्रसन्न
नयन नूतन कमलदलसे स्पर्धा करते तथा वामभागमें
विराजमान श्रीसीताजी के मुखकमलसे मिले हुए हैं, उन
आजानुबाहु, मेघश्याम, नाना प्रकार के अलंकारोंसे विभूषित
तथा विशाल जटाजूटधारी श्रीरामचन्द्रजीका ध्यान करे।
<heading text="A">स्तोत्रम्
<verse text="A" n="1">चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ १॥
<p text="B" n="1">श्रीरघुनाथजीका चरित्र सौ करोड़ विस्तारवाला है
और उसका एक-एक अक्षर भी मनुष्योंके महान् पापोंको
नष्ट करनेवाला है ॥ १ ॥
<verse text="A" n="2">ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥ २ ॥ ॥
<verse text="A" n="3">सासितूणधनुर्वाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥ ३ ॥</verse>
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