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रामरक्षास्तोत्रम् १३
 
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<p text="B" n="29">
मैं श्रीरामचन्द्र के चरणोंका मनसे स्मरण करता हूँ,

श्रीरामचन्द्र के चरणोंका वाणीसे कीर्तन करता हूँ,

श्रीरामचन्द्र के चरणोंको सिर झुकाकर प्रणाम करता हूँ तथा

श्रीरामचन्द्र के चरणोंकी शरण लेता हूँ ॥ २९ ॥
 
</p>
<verse text="A" n="30">
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः

स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।

सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु-

र्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥
 
</verse>
<p text="B" n="30">
राम मेरी माता हैं, राम मेरे पिता हैं, राम स्वामी

हैं और राम ही मेरे सखा हैं। दयामय रामचन्द्र ही मेरे

सर्वख हैं, उनके सिवा और किसीको मैं नहीं जानता-

बिल्कुल नहीं जानता ॥ ३० ॥
 
</p>
<verse text="A" n="31">
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।

पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥३१॥
 
</verse>
<p text="B" n="31">
जिनकी दायीं ओर लक्ष्मणजी, बायीं ओर जानकीजी

और सामने हनुमानजी विराजमान हैं, उन रघुनाथजीकी

मैं वन्दना करता हूँ ॥ ३१ ॥
 
 
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CC-0. Mumukshu Bhawan Varanasi Collection. Digitized by eGangotr
 
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