2025-12-14 16:55:39 by akprasad
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<verse text="A" n="4">अयि शतखण्ड-विखण्डित-रुण्ड-वितुण्डित-शुण्ड-गजाधिपते
रिपु-गज-गण्ड-विदारण-चण्डपराक्रम-शौण्ड-मृगाधिपते ।
निज-भुजदण्ड-निपातित-चण्ड-निपाटित-मुण्ड-भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।॥४ ।।
॥</verse>
<verse text="A" n="5">अयि रणदुर्मद-शत्रु-वधोदित-दुर्धर-निर्जर-शक्ति-भृते
चतुर-विचार-धुरीण-महाशय-दूत-कृत-प्रमथाधिपते ।
दुरित-दुरीह-दुराशय-दुर्मति-दानव-दूत-कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।॥५।।
॥</verse>
<verse text="A" n="6">अयि निजहुंकृतिमात्र-निराकृत-धूम्रविलोचन-धूम्रशते
समर-विशोषित-शोणितबीज-समुद्भवशोणित-बीज-लते ।
शिव-शिव-शुम्भनिशुम्भमहाहव-तर्पित-भूतपिशाचपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।॥६।।॥</verse>
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<verse text="A" n="4">अयि शतखण्ड-विखण्डित-रुण्ड-वितुण्डित-शुण्ड-गजाधिपते
रिपु-गज-गण्ड-विदारण-चण्डपराक्रम-शौण्ड-मृगाधिपते ।
निज-भुजदण्ड-निपातित-चण्ड-निपाटित-मुण्ड-भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
<verse text="A" n="5">अयि रणदुर्मद-शत्रु-वधोदित-दुर्धर-निर्जर-शक्ति-भृते
चतुर-विचार-धुरीण-महाशय-दूत-कृत-प्रमथाधिपते ।
दुरित-दुरीह-दुराशय-दुर्मति-दानव-दूत-कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
<verse text="A" n="6">अयि निजहुंकृतिमात्र-निराकृत-धूम्रविलोचन-धूम्रशते
समर-विशोषित-शोणितबीज-समुद्भवशोणित-बीज-लते ।
शिव-शिव-शुम्भनिशुम्भमहाहव-तर्पित-भूतपिशाचपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
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