2025-12-14 16:04:49 by akprasad
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<title>महिषासुरमर्दिनी-स्तोत्रम्
</title>
<verse n="1">अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दनुते
गिरिवर–विन्ध्य-शिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
<fix>।</fix>
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१<error>।</error><fix>॥</fix>
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<verse>सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि कल्मषमोषिणि घोषरते ।
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥२॥
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<verse>अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्बवन-प्रियवासिनि हासरते
शिखरिशिरोमणि-तुङ्गहिमालय-शृङ्गनिजालय-मध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥३॥
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<title>महिषासुरमर्दिनी-स्तोत्रम्
<verse n="1">अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दनुते
गिरिवर–विन्ध्य-शिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१
<verse>सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि कल्मषमोषिणि घोषरते ।
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥२॥
<verse>अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्बवन-प्रियवासिनि हासरते
शिखरिशिरोमणि-तुङ्गहिमालय-शृङ्गनिजालय-मध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥३॥
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