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<p text="F" n="5-6">
तुम उदय होते हुए सूर्य की पूजा करो। वह सभी मंगल

मागल्यों से भरे हुए है, सब पापो के नाशन हैं, चिन्ता और शोकके

मिटानेवाले आयु के बढाने वाले और सब से ऊपर रहने वाले (उत्तम)

है। वे किरणमय है, देवता और असुर सभी उनको नमस्कार

करते हैं, वे प्रकाश करनेवाले विवस्वान् और भुवनों के ईश्वर हैं ५/६
 
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<verse text="E" n="7">
सर्वदेवात्मकोह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः ।

एष देवांसुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः ॥ ७ ॥
 
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<p text="F" n="7">
यह तेजस्वी रश्मि भावन सूर्य सभी देवताओं की आत्मा हैं।

यह देवासुरों तथा अन्य लोगों को अपनी किरणों से पालते हैं ॥ ७॥
 
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<verse text="E" n="8">
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः ।

महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमोह्यांपतिः ॥ ८ ॥
 
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<p text="F" n="8">
यही ब्रह्मा, विष्णु, शिव, स्कन्द प्रजापति, महेन्द्र, धनद

( कुबेर ), काल, यम सोम​ और जल के पति ( वरुण ) हैं ॥ ८ ॥
 
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<verse text="E" n="9">
पितरो वसवः साध्या ह्यश्विनौ मरुतो मनुः ।

वायुर्वह्निः प्रजाप्राणः ऋतुकर्ता प्रभाकरः ॥ <error>
 
</error><fix>९</fix> ॥</verse>
<p text="F" n="9">
यही पितृगण, वसुगण, साध्यगण, दोनों अश्विनी कुमार, मन-

द्गण और मनु हैं। यही बायु, अग्नि, प्रजाप्राण, ऋतुकर्त्ता

और प्रभाकर हैं ॥ ९ ॥
 
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<verse text="E" n="10">
आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान् ।

सुवर्णसदृशो भानुः स्वर्णरेता दिवाकरः ॥ १० ॥
 
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<verse text="E" n="11">
हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान् ।

तिमिरोन्मथनः शंभ्रुस्त्वष्टा मार्तण्ड अंशुमान् ॥ ११ ॥
 
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<verse text="E" n="12">
हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनो भास्करो रवि ।

अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शङ्खः शिशिरनाशनः ॥ १२ ॥
 
 
 
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